जिस आधार से टिका हु,
वो आधार जेसे हिला ,
उस आधार को आधार ही रहने दो,
प्रशनो से ज्यादा तंग न करो,
बहुत नाजुक जो है वो,
अपने पावो की पकड़ ,
जेसे धटती बढ़ती रहती है,
आधार चले भी गये तो क्या ,
बिना आधार के भी तो,
सरकते है सरकने वाले ,
छलावों ना छलो ,
कुछ नहीं है,कुछ है भी,
ये तो बबूले है पानी के,
जो बनते है ,बिगड़ते है,
पानी के चंचल धरातल पर ,
आधार का आधार है,
आधार को ढूंढ़ता है,
छलावों के बाजार सजे है,
कुछ भी छल करो,
उन छल को खेलो ,
सब एक से ही है,
छल से न फसो ,
गति के साथ गतिमान हो,
शक्ति के साथ सक्तिमान हो,
Jis aadhar se tika hu…

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