ऐसा उसने इसलिए कहा
कि मैंने कल ये कहा था
कब तक चलता रहेगा
ये सिनसिला मय का
अह्सास स्वयं का शायद
बहार कुछ बचा नहीं
अर्थ के अर्थ निकालकर ही
जैसे खो जाना चाहता है
ये लालटेन अस्तित्व का
सिन्सीलो को तोडना
जीवन की चाल में
या तो कही भूचाल हो
या फिर
गुम हो जाता खुदी में
की सुबह उठकर
सब कुछ अनजाने से लगे
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