गुंजन करता
उड़ता फूलो की और
खिंचा चला जाता
रंग में गंध में
बंध जाता बंधन में
बिना जाने की
बिछड़ना है जल्दी
वो बंधन मुरझा जायेगा
पर बंधन जो दिल ने बांधे है
वो साथ ही रहे
और ऐसे बंध जाये की
हर और जो नया रूप हो
उसमे वो गंध कही न जाये
उसके विशवास की
वो बंधन मुरझा जायेगा
पर बंधन जो दिल ने बांधे है
वो साथ ही रहे
और ऐसे बंध जाये की
हर और जो नया रूप हो
उसमे वो गंध कही न जाये
उसके विशवास की
रुत जाने को है
फिर वीरानो में
तड़पना है
इक मीठी टीस लिये
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