शरीर की
एक एक कोशिका
जो हर पल बदलती रहती है
हर चीज जीवन की
बदलाव के भंवर में है
स्थिरता कही नहीं है
अस्थिरता में स्थिरता है
समां तो वह है
जब गति के चक्र में
बैठा हो कोई
स्थिरता लिए
तन की मन की
फिर भी कभी
उभरता है अहसास
मंजर नए है
समां वेसा नहीं
तो
अस्थिरता बसा लो
गति के ढेर में
मान लो
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