तूफान जो आ रहा है
कवच मजबूत करने होंगे
दूर उढ़ा है गुबार
माहोल सहमा सा है
चिढिया भी बैचैन है
घोंसले की फिकर है
तूफान आगे बढेगा
किस किस को साथ लेकर चलेगा
कवच क्या करेंगे
अंदर का कवच
ही काम आयेगा
तूफान तो उड़ते है
जब बैचेनी बढती है
क्यों बैचान है मन
शांत क्यों नहीं
लहरे तो उढेगी ही
उनका काम उठना है
मै क्यों डोलू उनपर
वो खुद अस्तिर है
पर वो तो चंचल है
पर दुसरो पर क्या बीते
इससे उन्हें क्या
तूफान तो उड़ते है
जब बैचेनी बढती है
क्यों बैचान है मन
शांत क्यों नहीं
लहरे तो उढेगी ही
उनका काम उठना है
मै क्यों डोलू उनपर
वो खुद अस्तिर है
पर वो तो चंचल है
पर दुसरो पर क्या बीते
इससे उन्हें क्या
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