हम चाँद पर जाते है
वहा के जीवन देखने को
वो पास के आदिवासी
कोई जाता नहीं देखने
हम मॉल में जाते है
वो धुप में तपते है
हम सभ्य कहलाते को
नई नई अव्धार्नाये बनाते है
फिर हम देखने जाते है
वो क्या करते है
जस पास नहीं कुछ
जब हम तलाशते है
सदेव कुछ ना कुछ
जो असली हो
तो वो कैसे जीते है
जब कुछ है नहीं
पास उनके
देख कर खुश उन्हें
लगता है
जंगली है
जीना शायद नहीं जानते
तभी तो खुश से दीखते है
कुछ नहीं में
वहा के जीवन देखने को
वो पास के आदिवासी
कोई जाता नहीं देखने
हम मॉल में जाते है
वो धुप में तपते है
हम सभ्य कहलाते को
नई नई अव्धार्नाये बनाते है
फिर हम देखने जाते है
वो क्या करते है
जस पास नहीं कुछ
जब हम तलाशते है
सदेव कुछ ना कुछ
जो असली हो
तो वो कैसे जीते है
जब कुछ है नहीं
पास उनके
देख कर खुश उन्हें
लगता है
जंगली है
जीना शायद नहीं जानते
तभी तो खुश से दीखते है
कुछ नहीं में
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