में इतना कमज
हर बात पे
हिल जाता हु
अपना कोई रंग नहीं
हर आहट पे
खयालो विचारो का सेलाव
जो बड़ते बड़ते न जाने
कहा ले जाती है
कमजोर मन को
बर्बाद कर देती है
शायद कोई भरम
न पल सका
कोई रंगीन चश्मा
लगा न सका
हर चीज को
यू देखा
जैसी वो दीखेगी
आज नहीं तो कल
शायद कोई भरम
न पल सका
कोई रंगीन चश्मा
लगा न सका
हर चीज को
यू देखा
जैसी वो दीखेगी
आज नहीं तो कल
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