छोटी सी जिन्दगी
कई बार
कितनी लम्बी होती है
नींद आती नहीं
दिन को चैन नहीं
बंधन इतने है
सबको निभाना है
जो चीज चुनते है
वो राहत न देकर
उलझने बढाती है
रस्ते तो बहुत सीदा है
पर जब अब
इतने साधन है
पुराणी बाते का अर्थ नहीं
नयो में कुछ देर का
साथ है
बात फिर और बिगडती है
संताप घटते नहीं
सहारा नहीं है
बस उलझते रहो
कभी इसमें और उसमे
कई बार
कितनी लम्बी होती है
नींद आती नहीं
दिन को चैन नहीं
बंधन इतने है
सबको निभाना है
जो चीज चुनते है
वो राहत न देकर
उलझने बढाती है
रस्ते तो बहुत सीदा है
पर जब अब
इतने साधन है
पुराणी बाते का अर्थ नहीं
नयो में कुछ देर का
साथ है
बात फिर और बिगडती है
संताप घटते नहीं
सहारा नहीं है
बस उलझते रहो
कभी इसमें और उसमे
Leave a Reply