आग में जलना है
शोले भड़क रहे है
दूर दूर तक
गरम लहरे
बह रही है
टकराकर चमड़ी से
झुलसाती है मन को
जो उस चमड़ी
में बंद है
क्यों और घी डालते हो
आग को बढाने को
मंदी होने दो उसे
जिससे जलन कम हो
शोले बुझ जाये
और रात का चंद्रमा
शीतल वायु बहाए
जो सकून दे
और नई आशा हो
शोले भड़क रहे है
दूर दूर तक
गरम लहरे
बह रही है
टकराकर चमड़ी से
झुलसाती है मन को
जो उस चमड़ी
में बंद है
क्यों और घी डालते हो
आग को बढाने को
मंदी होने दो उसे
जिससे जलन कम हो
शोले बुझ जाये
और रात का चंद्रमा
शीतल वायु बहाए
जो सकून दे
और नई आशा हो
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