मुझे मेरी कसम का इल्म है
की मेने बहुत सोचा था
बातो पर गौर किया था
शब्दों को तोला था
तराजू में दिल के
फिर खाई थी कसम
क्योकि रस्ते बंद हो गए
कसम खाने का बक्त आया
तो पीछे नहीं हटा मै
हकीकत के धरातल पर
खवाब कब तक उड़ेगे
खवाब वे ही ठहेरते है
जिन खवाबो में मय नो हो
नशा कबतक टिकेगा
वो तो उड़ जाता है
एक या दो थपेड़ो में
मुझे बहारो के जाने
का मलाल नहीं
बहारो के दाग बाकी नहीं
दाग धुलते चले गए
आजकल के दागो मै
वो बात नहीं रही जो
दाग तो दाग है
दाग में क्या खास है
जिनमे ठहरने को
काफी कम होता है
वे दाग दे जाते है
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